Wednesday, February 24, 2010

बाल श्रम बनाम राजनीति,बाल श्रमिक बनाम - भूख

आज हम देखते हैं की बाल श्रम को लेकर हमारे कुछ राजनितिक दल या कुछ समाज सेवी संस्थाएं
और हाँ कुछ हद तक प्रशासन भी बहुत सजगता दिखा रहे हैं।
ये बहुत ही अच्छी बात है ,यदि कोई भी बच्चा कहीं भी काम करता हुआ दिखाई देता है तो उसे वहां से हटा लिया जाता है और उससे काम लेने वाले व्यक्ति को दण्डित करने का प्रावधान है ,
कारन बताया जाता है की ये बच्चे राष्ट्र का भविष्य हैं।
बिलकुल ठीक कहा ,लेकिन मेरी बात ये समझ नहीं आती की क्या सिर्फ उसको काम से हटाने से हमारे देश का भविष्य सुद्रढ़ व सर्वोत्तम हो जायेगा?
कोई भी बच्चा अपनी पसंद से काम नहीं करता चाहे वो किसी सम्पन्न परिवार का हो या किसी आभावों से ग्रसित किसी परिवार का।
किन्तु हमारे देश के ये राजनितिक दल और स्वयंसेवी संस्थाएं , सिर्फ बच्चों को काम से हटवाने भर को अपना बहुत बड़ा सामाजिक कार्य मानते हैं और अपने आप ही अपनी पीठ ठोकते हैं की हमने देश का भविष्य बर्बाद होने से बचा लिया।
और रही सही कसर पत्रकार लोग पूरी कर देते हैं उनके इस काम को एक बहुत बड़ी उपलब्धि का नाम देके।
क्या बच्चों को काम से हटाना ही देश के भविष्य को सुद्रढ़ करना है?
मेरे विचार से बिलकुल भी नहीं,ये सही नहीं है।
यदि स्वयंसेवी संस्थाएं वास्तव में ये काम करना चाहती हैं तो उनका काम सिर्फ बच्चों को काम से हटाने तक समाप्त नहीं हो जाता है , वरन उनका काम तो उसके बाद ही शुरू होता है यदि वो वास्तव में ही देश के भविष्य को सुद्रढ़ बनाना चाहते हैं ।
जब बच्चों को काम से हटाया जाता है तो उनको किसी ऐसे संस्थान में डाला जाये जहाँ न केवल उनके पढने लिखने का वरन उनके भोजन व रहन सहन का भी ध्यान रखा जाये ,उसके बाद उसकी जिस विषय में रोचकता हो उसे उसी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए अवसर प्रदान कराये जाएँ.और उसे उसके उद्देश्य की प्राप्ति के लिए प्रेरित किया जाये,
और जब ऐसा होगा तो हमारा राष्ट्र वाकई सम्रध ,सुद्रढ़ और विकसित होगा।
हर क्षेत्र में हमारे राष्ट्र का नाम होगा, न सिर्फ विज्ञानं में वरन खेल के क्षेत्र में व्यवसाय के क्षेत्र में,कृषि के क्षेत्र में,सामाजिक कार्य के क्षेत्र में भी नाम होगा।
किन्तु, किन्तु , किन्तु
यदि हम सिर्फ अपना कार्य सिर्फ यहीं तक समझते हुए करते हैं की हमने बच्चे को काम से विमुक्त करा दिया और हमने देश के भविष्य को बर्बाद होने से बचा लिया ,
तो ये शायद हमारी सबसे बड़ी भूल है,हमने अपने देश का भविष्य बचा नहीं लिया वरन उसे और भ्रष्टता व अपराध से परिपूर्ण बनाने में अपना सबसे बड़ा योगदान दे दिया है।
कैसे? कैसे? कैसे?
जैसा की मैंने पहले कहा था की कोई भी बच्चा अपनी मर्ज़ी से काम नहीं करता, जब तक की कोई मजबूरी उसके सामने न हो ,अर्थात उसे धन की ज़रुरत थी तभी उसने काम करना प्रारंभ किया ,और यदि हम उसको काम से हटाते हैं तो वो कुछ न कुछ ऐसा करेगा धन कमाने के लिए जो की उसे नहीं करना चाहिए, शायद उसे हम "अपराध" की संज्ञा देंगे.और जब एक बच्चा या कोई भी व्यक्ति एक बार इस अपराध की दुनिया में कदम रखता है तो उसे ये काम बहुत ही आसान लगता है धन कमाने के लिए उस काम से जो वो करना चाह रहा था और उसे वो काम करने से रोक दिया गया ।
वो अब लूट खसोट-करेगा, आने-जाने वालों की चैन गले से लूटेगा ,किसी का बैग लेके भागेगा ,या फिर रंगदारी करेगा या कुछ भी ऐसा काम करेगा जो की समाज-संगत नहीं होगा।
अब इसका दोष हम किसको देंगे ?

और अगर हम ये कहें की बच्चा इतने अच्छे संस्कार का है की वो किसी गलत काम को नहीं करता धन कमाने के लिए या ये कहें की आभावों को पूरा करने के लिए,और वो एक बार फिर उसी काम देने वाले के पास जाता है काम मांगने के लिए , तो क्या वो अब उस बच्चे से काम कराएगा?

नहीं ,क्योंकि वो पहले ही दण्डित किया गया है बाल श्रम लेने के अपराध में ।
और यदि अब वो रखता भी है तो अब पहले से कम पैसे देगा उसे, क्योंकि वो कहता है की अब में तुझे रिस्क ले कर काम दे रहा हूँ अगर पकड़ा गया तो मुझे फिर से दण्डित किया जायेगा.इस कारन से वो उस बच्चे के मेहनत के पैसे और मार लेता है,
क्योंकि में इस बात को जानता हूँ इस संसार में जादातर लोग किसी की भी मजबूरी का लाभ उठाते हैं।
तो इसलिए मेरी उन स्वयंसेवी संस्थओं से या राजनितिक दलों से ये आग्रह है की कृपया वो बच्चों की मजबूरी का लाभ किसी को उठाने न दें और बच्चों को स्वावलंबी बन्ने दें.यदि बच्चा आगे बढ़ना या वाकई पढना चाहेगा तो वो खुद बखुद ही उसका रास्ता निकाल लेगा।
और कहते हैं ;
"भूखे पेट भजन न होए गोपाला"
यदि कोई बच्चा भूखा है तो उसे आप कितना ही अच्छा ज्ञान दोगे वो उसे विश-लिप्त वाक्य ही लगेंगे।
इसलिए ऐसे बच्चों केलिए यदि आप(स्वयं सेवी संस्थाएं ,राजनितिक दल) कुछ करना चाहते हैं तो पहले उनके आभावों को समाप्त करने का प्रयास करें बाद में उन्हें स्वावलंबी बनाने की योजना पर काम करते हुए बाल श्रम को समाप्त करने का प्रयास करें।
तभी हम बाल श्रम को समाप्त कर पाएंगे। और बाल श्रमिकों को राष्ट्र के सुद्रढ़ स्तंभों के रूप में विकसित कर सकेंगे।
ये मेरे विचार हैं, शायद आप इससे सहमत हों या न हों, लेकिन ये एक सच्चाई है.
धन्यवाद्
आपका एक विशुद्ध भारतीय

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