आज की युवा पीढ़ी व्यसनों में घिरती जा रही है।
कोई विरला ही ऐसा व्यक्ति दिखाई देता है जो किसी व्यसन से ग्रसित न हो।
आज छोटे छोटे बच्चे जो की खाने पीने व खेलने कूदने में व्यस्त होने चाहिए ,
वो आज खाने में जंक फ़ूड और पीने में शराब , सिगरेट और कई तरह के नशे
में डूबे हुए हैं। और खेल कूद के नाम पे सिर्फ कम्पयूटर के आगे बैठे रहते हैं।
क्या हम ऐसी युवा पीढ़ी से स्वस्थ व उत्कृष्ठ भारत की कामना कर सकते हैं?
जो बीज खुद ही कमज़ोर हो उससे एक स्वस्थ पेड़ की कामना करना मेरे ख्याल से
उस बीज से उम्मीद रखने वाले हम जैसे लोगों की बेवकूफी है ।
और इस बीज की कमजोरी के लिए हम खुद ज़िम्मेदार हैं
कैसे?
कैसे?
वो ऐसे के आज हमारे घरों से हमारी भारतीय संस्कृति समाप्त होती जा रही हे।
आज यदि हम अपने खान पान पे ही नज़र डालें तो पहले हमारे घरों में सुबह का नाश्ता
पूर्ण रूप से स्वस्थ्य वर्धक हुआ करता था उसमे हमारी माँ हमे दूध के साथ परांठे या
रोटियां मिलती थीं वो भी मक्खन के साथ।
आज मुझे ये कहने में कोई संकोच न होगा की अधिकतर माएं इन सब झंझटों से
बचने का प्रयास करती हैं या ये कहें के उन्हें पाश्चात्य संस्कृति इतनी भाती हे की उनकी
जीवनशेली से उनका नाश्ता करने का तरीका नक़ल कर अपने बच्चों को वही नाश्ता देती हैं
और कहते हैं मोर्डन कल्चर है ।
जब बच्चा शुरू से ही मेग्गी , बर्गर ,पिज्जा , पेप्सी जैसी चीज़ें खायेगा पीएगा तो उसका शरीर
भी वैसा ही बनेगा।
आज कल के बच्चे या तो बहुत मोटे मिलते हैं या बहुत पतले और दोनों ही रूपों में उनमे जान के
नाम पे अगर देखा जाये तो ये हालत है की अगर ज़रा सा भागने को कह दिया जाये तो उनकी जीभ
कान से बहार निकलने को तेयार रहती है।
और ऐसे भोजन के बाद रही सही कसर शराब और सिगरेट पूरा कर देते हें
आज हमे स्वस्थ भारत के निर्माण के लिए सबसे पहली ज़रुरत हे निर्व्यस्नीय किशोरों की
और युवाओं को निर्व्यस्नीय बनाने का सर्वोत्तम उपाय हे
"कसरत"
यदि हम बच्चों में कसरत करने की आदत डालेंगे तो वो कभी भी किसी व्यसन की तरफ
नहीं देखेंगे क्योंकि वो ये जान जायेंगे की अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कितना पसीना बहाना पड़ता हे
और थोडा सा व्यसन करने से घंटों का परिश्रम कुछ क्षणों के मज़े के लिए मिटटी में मिल जायेगा
और जहाँ बच्चों के दिमाग में ये बात आ गयी तो वो कभी भी किसी व्यसन की तरफ देखेंगे भी नहीं ।
इसका मुझे विश्वास हे
तो आइये अपने स्वस्थ व उत्क्रष्ठ भारत व समाज के लिए
"कसरत को एक व्यसन के रूप में प्रचारित व प्रसारित करें"
धन्यवाद्
निर्व्यस्नीय व स्वस्थ भारत व समाज की कामना के साथ
एक विशुद्ध भारतीय
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"कसरत को एक व्यसन के रूप में प्रचारित व प्रसारित करें"
ReplyDeleteधन्यवाद्
निर्व्यस्नीय व स्वस्थ भारत व समाज की कामना के साथ
एक विशुद्ध भारतीय
sundar!
Anek shubhkamnayen!
ReplyDeleteaap bahot achcha likhte hai..Indian
ReplyDeleteआज के भटकते हुए युवाओ के लिए आपने अच्छा लिखा है
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